जुए ने जान के सब को जुवारी कर दिया है
किसी का छीन कर जीवन किसी का भर दिया है
जिसे सब बाप कहते है किया उसने भला क्या
हमारे देश को बाँटा हमें दुश्मन दिया है
लड़ाई से नहीं जीता गया जब हौसले को
बनाकर देश का दुश्मन उसे ख़ंजर दिया है
ज़माना ये ज़माने से यही सब सीखता है
दिया जिसने यहाँ आदर उसे ख़ंजर दिया है
अगर मैं नाम लिखता हूँ क़लम रोती है मेरी
हमारी जान लेने को उन्हें लश्कर दिया है
किसी के बाप ने पैदा नहीं की थी ज़मीं वो
हमारा ख़ून था उस पर जिसे धोकर दिया है
मरे तो वो मगर मरते हुए उन ज़ालिमों ने
हमारे देश को चलता हुआ चौसर दिया है
लगाकर जान की बाज़ी शहीदी पा गए जो
उन्हीं की सोच ने इस देश को रहबर दिया है
लड़े जिस देश का नक्शा समेटे आँख में वो
मगर आज़ाद भारत तो हमें कट कर दिया है
शहीदों से नज़र कैसे मिलाएँगे भला वो
जिन्होंने देश को दंगा यहाँ अक्सर दिया है
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