जुए ने जान के सब को जुवारी कर दिया है

  - Vishakt ki Kalam se

जुए ने जान के सब को जुवारी कर दिया है
किसी का छीन कर जीवन किसी का भर दिया है

जिसे सब बाप कहते है किया उसने भला क्या
हमारे देश को बाँटा हमें दुश्मन दिया है

लड़ाई से नहीं जीता गया जब हौसले को
बनाकर देश का दुश्मन उसे ख़ंजर दिया है

ज़माना ये ज़माने से यही सब सीखता है
दिया जिसने यहाँ आदर उसे ख़ंजर दिया है

अगर मैं नाम लिखता हूँ क़लम रोती है मेरी
हमारी जान लेने को उन्हें लश्कर दिया है

किसी के बाप ने पैदा नहीं की थी ज़मीं वो
हमारा ख़ून था उस पर जिसे धोकर दिया है

मरे तो वो मगर मरते हुए उन ज़ालिमों ने
हमारे देश को चलता हुआ चौसर दिया है

लगाकर जान की बाज़ी शहीदी पा गए जो
उन्हीं की सोच ने इस देश को रहबर दिया है

लड़े जिस देश का नक्शा समेटे आँख में वो
मगर आज़ाद भारत तो हमें कट कर दिया है

शहीदों से नज़र कैसे मिलाएँगे भला वो
जिन्होंने देश को दंगा यहाँ अक्सर दिया है

  - Vishakt ki Kalam se

More by Vishakt ki Kalam se

As you were reading Shayari by Vishakt ki Kalam se

Similar Writers

our suggestion based on Vishakt ki Kalam se

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari