बात दिल की ज़ुबाँ पे लाते नहीं
ख़ुश अगर हों भी मुस्कुराते नहीं
मिलते थे छुप छुपा के जो हमसे
वो तो नज़रें भी अब मिलाते नहीं
हम कभी ग़ज़लें लिखते थे उस पर
लिखते अब भी हैं बस सुनाते नहीं
होते जो तुम तो रूठते हमसे
होते जो हम तो फिर मनाते नहीं
बस यही तो कमी रही हम में
प्यार तो करते थे जताते नहीं
साथ तेरे सजाते ये दुनिया
अब तो ये घर भी हम सजाते नहीं
काश हम भी न देखते तुमको
काश तुम भी हमें रिझाते नहीं
As you were reading Shayari by Yuvraj Singh Faujdar
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