उसने जो आँखों से की मैं बात नहीं समझा

  - Yaduvanshi Abhishek

उसने जो आँखों से की मैं बात नहीं समझा
आँखों वाला अंधा था जज़्बात नहीं समझा

वो ज़ाहिर कर देती थी बातों बातों में सब
मैं दिल से अंधा बहरा इक बात नहीं समझा

उसका रुकना या जाना तो मेरे बस में था
बस कहने की देरी थी उस रात नहीं समझा

इक मानी के बदले उसने जान थमा दी पर
मैं सौ में तेइस वाला ये बात नहीं समझा

फ़िर आती हूॅं जाते जाते मुड़ कर बोली वो
मैं वन मानुष सालों तक वो बात नहीं समझा

  - Yaduvanshi Abhishek

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