Pravendra Anuragi

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@pravendraanuragi17

Pravendra Anuragi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Pravendra Anuragi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
कभी जब अपने घर की याद आती है
परिंदों को भी आज़ादी सताती है

मुझे वैसे तो कोई ग़म नहीं है बस
मुझे हर रोज़ उसकी याद आती है

मुझे हर रोज़ जबरन जीना पड़ता है
मिरी ये ज़ीस्त ग़म ही ग़म लुटाती है

उसे इन पत्थरों से क्यूँ न हो वहशत
वो भी तो ख़्वाब शीशे के सजाती है

चराग़ों को शिकायत है तो बस इतनी
हवा हर दफ़्अ उनको भूल जाती है

ग़मों से गहरे रिश्ते हो चले मेरे
ज़ियादा अब ख़ुशी मुझको रुलाती है

अलग ही बोझ हूँ इस ज़िंदगी पे मैं
ये तुर्बत देख मुझको मुस्कुराती है

अगर बीमार हूँ तो रहने दो मुझको
दवा क्यूँ मेरी चौखट खटखटाती है

मिटाता हूँ वफ़ा के क़िस्से पन्नों से
मुहब्बत की सियाही अब सताती है

नज़र-अंदाज़ मैं कर ही नहीं सकता
उसी की बाहों में अब नींद आती है

ख़मोशी उसके चेहरे पे नहीं सजती
वो अच्छी लगती है जब गीत गाती है

कभी महताब सच को रौशनी देगा
इसी उम्मीद में शब बीत जाती है
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Pravendra Anuragi