तवील रास्ता है हाथ थाम लीजिए
कि दिल के साथ अक़्ल से भी काम लीजिए
बहार में ख़ुदा को याद कीजिए भी क्यूँ
ख़िज़ाँ में पर उसी का ख़ूब नाम लीजिए
अगर दवा-ए-दर्द-ए-दिल है मुझ से गुफ़्तुगू
तो आप इस दवा को सुब्ह-ओ-शाम लीजिए
सनम से चाह मेरी कुछ न थी ब-जुज़ वफ़ा
शबाब पर कहे कि लुत्फ़-ए-आम लीजिए
सफ़र में ज़ीस्त के मिले न कुछ गँवाए बिन
यहाँ तो जोखिमों को बहर-गाम लीजिए
मुनाफ़िक़ों का फ़ैसला ख़ुदा पे छोड़िये
मुआफ़ कीजिए न इंतिक़ाम लीजिए
तआम भी हिदायतों का फिर न हो नसीब
न इस क़दर भी लज़्ज़त-ए-हराम लीजिए
है जुम्बिश-ए-ज़बान का ये ज़ब्त जब तलक
कि तब तलक तो नैन का पयाम लीजिए
भले मुहिब हो लाख पर उसूल ये है 'ज़ान'
किसी का अपने सर न इत्तिहाम लीजिए
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