आख़िरी बार ये किरदार निभाने देना
मेरी मय्यत पे उसे अश्क बहाने देना
जब हँसाऊँ मैं सभी को सुना के किस्सा-ए-ग़म
रोकना टोकना ना मुझको हँसाने देना
अफसरी, डॉक्टरी जो भी पढ़ाना लेकिन
नई नस्लों को पतंगे भी उड़ाने देना
कब्र पर मेरी कोई पेड़ लगा देना तुम
और बच्चों को मेरी शाखें हिलाने देना
वैसे हम आँधियों के शहर में रहते हैं पर
कोई गर दीप जलाये तो जलाने देना
ज़िन्दगी में उन्हें ना हो कभी भी मोह'ताजी
इसलिये कहता हूँ बेटी को कमाने देना
आजकल के नये लड़के भी गज़ब कहते हैं शे'र
वो अगर शेर सुनाये तो सुनाने देना
घर के बूढ़ो को न बतलाना बुढ़ापा है क्या
साथ बच्चों के उन्हें दौड़ लगाने देना
बाद में वो गले लग जाए ये उसकी मर्ज़ी
मैं फ़कत हाथ मिलाऊंगा मिलाने देना
तेरी आदत है गिराना तो गिरा देना तुम
हाँ मगर खुद को उठाऊं तो उठाने देना
वो है मासूम कोई बैर न रखना उन से
क़त्ल ना करना उन्हें दुनिया में आने देना
आज वो माँ की दुआ लेके यहाँ आया है
वो मुझे आज हराये तो हराने देना
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