इतना तो दोस्ती का सिला दीजिए मुझे

  - Abdul Hamid Adam

इतना तो दोस्ती का सिला दीजिए मुझे
अपना समझ के ज़हर पिला दीजिए मुझे

उट्ठे न ताकि आप की जानिब नज़र कोई
जितनी भी तोहमतें हैं लगा दीजिए मुझे

क्यूँ आप की ख़ुशी को मेरा ग़म करे उदास
इक तल्ख़ हादिसा हूँ भुला दीजिए मुझे

सिदक़-ओ-सफ़ा ने मुझ को किया है बहुत ख़राब
मक्र-ओ-रिया ज़रूर सिखा दीजिए मुझे

मैं आप के क़रीब ही होता हूँ हर घड़ी
मौक़ा कभी पड़े तो सदा दीजिए मुझे

हर चीज़ दस्तियाब है बाज़ार में 'अदम'
झूटी ख़ुशी ख़रीद के ला दीजिए मुझे

  - Abdul Hamid Adam

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