दिल तुमसे कर चुका है हमेशा की यारियाँ

  - Prashant Kumar

दिल तुमसे कर चुका है हमेशा की यारियाँ
फिर क्यूँ चला रहे हो मिरे दिल पे आरियाँ

किसको सुनाएँ कौन सुनेगा हमारियाँ
धर लेगा हाथ कान पे सुन बे-क़रारियाँ

जो लोग मुझ कबीर को क़ातिल बुला रहे
करते फिरेंगे याद मिरी दस्त-कारियाँ

इंसान हो परिंद हो शैतान या ख़ुदा
सब की निभा रहे हैं हमीं ज़िम्मेदारियाँ

इसको सुना रहे कभी उसको सुना रहे
क्यूँ कर रहे हैं लोग मिरे ग़म की ख़्वारियाँ

तुझको मुझे कोई भी यहाँ जानता नहीं
मशहूर इस क़दर हैं तिरी मेरी यारियाँ

अब क्या बताएँ तुझको मोहब्बत की दास्ताँ
रातों को तेरी याद में चलती हैं आरियाँ

इतना बता दे बस तू अगर बाग़बान है
फूलों के साथ सूख रहीं क्यूँ ये क्यारियाँ

हर शख़्स की ज़बाँ पे तिरा मेरा नाम है
मशहूर हो गई हैं तिरी मेरी यारियाँ

  - Prashant Kumar

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