इस मुल्क का हुआ न मैं उस मुल्क का हुआ - Prashant Kumar

इस मुल्क का हुआ न मैं उस मुल्क का हुआ
दोनों दयार का रहा दुश्मन बना हुआ

तेरे नसीब में है ख़ुदा का दिया हुआ
मेरे नसीब में है ख़ुदा का लिया हुआ

जो जाँ बची थी सारी की सारी ही लग गई
धरती का क़र्ज़ जान मिलाकर अदा हुआ

धुतकारता है मुल्क भी अब लाश देखकर
कोई भिकारनी की हूँ गोदी पड़ा हुआ

माता-पिता ने बोझ उठाया है रात दिन
भूखे रहे हैं तब कहीं इतना बड़ा हुआ

दुश्मन बता रहा है वही मुल्क आजकल
जिसके बचाव में हूँ लहद में पड़ा हुआ

हल्के में ले रहा है ख़ुदा से ये बोल दो
जिस पर निगाह डाल दी वो फ़ातिमा हुआ

इंसाँ के बस की बात नहीं क़त्ल कर सके
बेशक है इसमें हाथ ख़ुदा का लगा हुआ

- Prashant Kumar
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