जो नज़रें फेर लेते हैं हम उनको छोड़ देते हैं
पराया ग़ैर फिर हो कोई रिश्ता तोड़ देते हैं
मिरे तर्ज़-ए-'अमल पर कोई भी उँगली उठाना मत
जहाँ जाता हूँ ख़ुद ही लोग महफ़िल छोड़ देते हैं
तुम्हारे साथ करता है कोई भी दोग़लापन तो
तुम उसको छोड़ देते हो हम उसको फोड़ देते हैं
निगाहें अब कहीं कोई अगर हमसे मिलाता है
तो कुछ कहते नहीं है बस लबादा मोड़ देते हैं
चलो फ़ुर्सत में दिल लेकर हमारे पास आना तुम
अरे टूटा हुआ दिल भी सही से जोड़ देते हैं
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