तू आँख मार के अगर इक बार देख ले - Prashant Kumar

तू आँख मार के अगर इक बार देख ले
तो रौशनी हो जाएगी दिल में ग़रीब के

ये फ़न ये तजरबात सब ऐसे नहीं मिले
दिन रात पाँव दाबे हैं मैंने तिरे मिरे

अहल-ए-वरा है उसको कभी छोड़ना नहीं
मिलते हैं ऐसे लोग बड़े ही नसीब से

अंदाज़ हर किसी का यहाँ एक सा ही है
मुझको हर एक शख़्स उसी की तरह मिले

ये दिल किसी भी हुस्न पे ठहरा नहीं कभी
सज धज के सब गुज़र गए इसके क़रीब से

- Prashant Kumar
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