तुम्हारा ग़म भुला करके ये दिल आबाद करना था
कि ख़ुद को इश्क़ की ज़ंजीर से आज़ाद करना था
बिखर जाने से अच्छा था कि फिर से दिल लगा लेते
फ़क़त रस्म-ए-वफ़ा को छोड़ ख़ुद को शाद करना था
न सोचा था तड़पना भी पड़ेगा इश्क़ में इक दिन
ख़ुदा से वस्ल की ख़ातिर न यूँ फ़रियाद करना था
किया था इत्तिला सब ने हमें तुम छोड़ जाओगी
ये दिल पागल इसे ख़ुद को मगर फ़रहाद करना था
तुम्हें मालूम था हम टूट जाएँगे तुम्हारे बाद
तुम्हें तो पर शुरू से ही हमें बर्बाद करना था
हमें अब काम में कुछ इस क़दर मसरूफ़ होना है
कि अब ये भी न याद आए कि तुमको याद करना था
सुनाया था सभी को दुख पिरो कर शेर में हमने
मगर परवाह क्या उनको तो बस इरशाद करना था
सुनो 'रेहान' मत कहना कि था वो कौन सा इक शहर
दुआओं में तुम्हें जिसको इलाहाबाद करना था
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