उसे हम से शिकायत है करें क्या
हमें उसकी ज़रूरत है करें क्या
नज़र हटती नहीं चेहरे से उसके
वो इतनी ख़ूबसूरत है करें क्या
करें हम जितनी भी तारीफ़ कम है
वो चलती फिरती आफ़त है करें क्या
उसे क़िस्तों में हम जो करते हैं याद
हमें इतनी ही फ़ुर्सत है करें क्या
जो हम चाहें हमें मिलता नहीं वो
अब अपनी ऐसी क़िस्मत है करें क्या
बदलते रंग हैं गिरगिट सनम के
बदलना इनकी फ़ितरत है करें क्या
मसलकर ज़ख़्म को करती है नासूर
ये दुनिया की हक़ीक़त है करें क्या
परिंदों ने बनाए ही नहीं घर
उन्हें तूफाँ से वहशत है करें क्या
ख़ता इसमें नहीं 'अंचल' किसी की
वो लड़की ही मुसीबत है करें क्या
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