ये इश्क़ क्यों चढ़ा नहीं मुझे पता तुझे पता
ख़ता न थी दिखी कहीं मुझे पता तुझे पता
गली तेरी गली मेरी तेरा मेरा वो साथ था
नसीब भी लिखा वहीं मुझे पता तुझे पता
वो आशिक़ी भी हम में थी वो सिलसिला भी हम में था
हुए कभी ख़फ़ा नहीं मुझे पता तुझे पता
हवा भी साथ साथ थी वो चाँदनी सी रात थी
गली में साथ थे वहीं मुझे पता तुझे पता
वो बहस क्यूँ तेरी मेरी बिना किसी सबब हुई
जगह बनी गली वहीं मुझे पता तुझे पता
मिरा तिरा जो था नशा वो प्यार के वो ख़्वाब का
डुबा दिया वहीं कहीं मुझे पता तुझे पता
नया नया सा ज़ख़्म था उठा उठा सा दर्द था
चले क़दम-क़दम वहीं मुझे पता तुझे पता
वो मुँह भी था छुपा लिया तुझे दिखे नमी नहीं
गिरे थे अश्क जब वहीं मुझे पता तुझे पता
वो चार दिन की चाँदनी गुज़र गई इधर उधर
है बाद उसके कुछ नहीं मुझे पता तुझे पता
वफ़ा का क़र्ज़ था बड़ा कि आँसुओं में तौल कर
चुका दिया था सब वहीं मुझे पता तुझे पता
जो था मिला चला गया जो याद था भुला दिया
फ़ज़ा भी अब रही नहीं मुझे पता तुझे पता
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