मिरे महबूब मुझको अब मोहब्बत का सिला देना
तिरा ख़ुल्द-ए-अदन सा दिल मुझे तो कामिला देना
मोहब्बत जिस्म की मोहताज हो जाए नहीं सोचा
अभी ये सोच आई है लबों से लब मिला देना
गुलों को भी महक तेरे बदन से उन को मिलती है
मुझे ख़ुशबू भरे इस ख़ुश-बदन को तू दिला देना
बदन तेरा ये लज़्ज़त-आफ़रीं पर है बड़ा क़ातिल
मुझे मंजूर है मरना बग़ल में गुल खिला देना
बहारें आश्ना तेरी लिपट जाए बदन तेरे
मुझे भी साथ लिपटाना बता बस मुब्तिला देना
तिरी साँसें बिखर कर मनचला कर दे नशे में यूँ
तमन्ना-ए-दिल-ओ-जाँ के नशे का सिलसिला देना
हुआ था आश्ना 'अर्जुन' दिवाना हो गया है अब
ये जिस्म-ओ-जाँ तू दे या ज़हर का प्याला पिला देना
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