मिरा अक्स था मिरा आश्ना वो नज़र मुझी से चुरा गया
वो अज़ीज़ था मिरा हम-सफ़र मुझे रास्ते में भुला गया
मैं दबा रहा उसी राज़ से कि कभी किसी को बता न दे
वही लूटता रहा जाँ मिरी वही राज़ सब को बता गया
जो लिखा हुआ था नसीब में न मिला मुझे मिरी राह में
वो बदल गया था नसीब को मुझे गर्दिशों में घुमा गया
मिरा वक़्त मुझ से ख़फ़ा था जब मैं तलाश करता था रौशनी
मिरी रौशनी का गुमाँ था जो वही रौशनी को बुझा गया
वो ज़बाँ से फ़र्ज़ का नूर था वो करम में था बड़ा बेवफ़ा
मिरी आँख खुलने से पहले ही मुझे ज़िंदगी से हटा गया
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