वो लिखता जब ग़ज़ल है तो परी की बात करता है
वो हर मिसरे में फिर उसकी ख़ुशी की बात करता है
हवा में घुल गई ख़ुशबू फ़िज़ा ने जब छुआ उसको
चमन से फूल अब उसकी गली की बात करता है
गुलों में रंग ख़ुशबू में असर उसका नज़र आए
हर इक झोंका हर इक साया उसी की बात करता है
सितारे उसके जलवों का जहाँ क़िस्सा सुनाते हैं
फ़लक भी बा-अदब दिल की लगी की बात करता है
जिसे बेचैन करता था तसव्वुर रात भर उसका
वही ये चाँद अब उसकी हँसी की बात करता है
किसी दरिया में है लगता वो बिंत-उल-बहर को देखा
वो हर शेर-ओ-सुख़न में ही नदी की बात करता है
क़दम उस जल-परी के हैं पड़े 'अरमान' साहिल पर
समुंदर भी तो मौजों से उसी की बात करता है
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