उसने चराग़े-इश्क़ जलाकर बुझा दिया - Arvind Asar

उसने चराग़े-इश्क़ जलाकर बुझा दिया
दिल पे हमारा नाम लिखा और मिटा दिया

इस बार उसकी बात का करना ही था यक़ीन
इस बार उसने रब का मुझे वास्ता दिया

सुख दुख का अब किसी को भी एहसास ही नहीं
हालात ने हर एक को पत्थर बना दिया

सूनी पड़ी हुई थी मेरे दिल की हर गली
लेकिन तुम्हारी याद ने मेला लगा दिया

मरने पे हम किसी के भला और क्या कहें
जलता हुआ चराग़ हवा ने बुझा दिया

आखिर में ज़िन्दगी ने मेरे कान में कहा
मैंने तुम्हारा साथ यहाँ तक निभा दिया

अक्सर दुखों की भीड़ में ऐसा हुआ 'असर '
मैं रोना चाहता था मगर मुस्कुरा दिया

- Arvind Asar
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