तू मिला जो नहीं चाँदनी रात में

  - Avtar Singh Jasser

तू मिला जो नहीं चाँदनी रात में
हो गया दिल हज़ीं चाँदनी रात में

ढ़ूँढते-ढ़ूँढते तुझ को मेरे सनम
खो गया मैं कहीं चाँदनी रात में

बात करती है तो, बात करती है क्या ?
आसमाँ से ज़मीं चाँदनी रात में

हम अमावस की शब जिस जगह थे मिले
आ गये हम वहीं चाँदनी रात में

आरज़ू है यही अब कि ‘जस्सर’, रहे
चाँद पहलूनशीं चाँदनी रात में

  - Avtar Singh Jasser

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