कहां आंसुओं की ये सौग़ात होगी
नए लोग होंगे नई बात होगी
मैं हर हाल में मुस्कुराता रहूंगा
तुम्हारी मोहब्बत अगर साथ होगी
चराग़ों को आंखों में महफ़ूज़ रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी
परेशां हो तुम भी परेशां हूं मैं भी
चलो मय-कदे में वहीं बात होगी
चराग़ों की लौ से सितारों की ज़ौ तक
तुम्हें मैं मिलूंगा जहां रात होगी
जहां वादियों में नए फूल आए
हमारी तुम्हारी मुलाक़ात होगी
सदाओं को अल्फ़ाज़ मिलने न पाएं
न बादल घिरेंगे न बरसात होगी
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
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