कल रस्ते में दो अजनबी हम से थे और मैं रो पड़ा
बस याद आए कुछ पुराने लम्हे और मैं रो पड़ा
उसने मेरे दिल के करे सो टुकड़े पर मैं चुप रहा
फिर टूटे इक इक करके दिल के टुकड़े और मैं रो पड़ा
मैं समझा था अब वो मेरा दिल छोड़ के जा ही चुकी
अलमारी से कुछ ख़त पुराने निकले और मैं रो पड़ा
इक छोटी बच्ची की विदाई ने मुझे पत्थर करा
इक शाहज़ादी के न बिछवे निकले और मैं रो पड़ा
जाने मुझे क्या याद आया एक दम अल्लाह उफ़
उस फ़िल्म में बस लड़का लड़की बिछड़े और मैं रो पड़ा
पापा मेरे चीख़ें मेरी बेटी गई मैं बोला उन
हाथों से उसके बस ये बाज़ू छूटे और मैं रो पड़ा
Read Full