मेरे हाथों में ग़म का पता देखकर
रूठती है ख़ुशी गमज़दा देखकर
अब तो डसने लगी तीरगी भी मुझे
मेरे हाथों का दीया बुझा देखकर
रात दिन खाता था प्यार में वो क़सम
है ख़ुदा हैराँ अब बेवफ़ा देखकर
पैसे लेकर जो नेता नहीं डरता, क्यों
डर गया वो ही अब कैमरा देखकर
जश्न करता रहा रात भर वो रक़ीब
ख़ुश हुआ था मेरा घर जला देखकर
मार देती है मांँ अपनी ही भूख 'दीप'
डिब्बे में खाना अक्सर ज़रा देखकर
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