अपनी तो अब अपने दिल से यारी है
बाक़ी से बस केवल दुनियादारी है
इक मछली को सौ टुकड़ों में काट दिया
इक मछली पे इतनी मारामारी है
तुमने हाथ गिराए गिनती कम कर दी
भाई ये तो हाकिम से ग़द्दारी है
जानू की साँसों को सुनकर सोता है
हे स्वामी इसको अद्भुत बीमारी है
उसके दिल पे क़ब्ज़ा थोड़ा मुश्किल है
यानी उसके दिल में चारदिवारी है
इस तस्वीर में वो है उसकी शहज़ादी
एक मोहब्बत दूजी जान हमारी है
रिश्वत का सिक्का भी कैसे रख लूँगा
यार उदय घर में छोटी अलमारी है
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