अपनी तो अब अपने दिल से यारी है

  - Uday Divakar

अपनी तो अब अपने दिल से यारी है
बाक़ी से बस केवल दुनियादारी है

इक मछली को सौ टुकड़ों में काट दिया
इक मछली पे इतनी मारामारी है

तुमने हाथ गिराए गिनती कम कर दी
भाई ये तो हाकिम से ग़द्दारी है

जानू की साँसों को सुनकर सोता है
हे स्वामी इसको अद्भुत बीमारी है

उसके दिल पे क़ब्ज़ा थोड़ा मुश्किल है
यानी उसके दिल में चारदिवारी है

इस तस्वीर में वो है उसकी शहज़ादी
एक मोहब्बत दूजी जान हमारी है

रिश्वत का सिक्का भी कैसे रख लूँगा
यार उदय घर में छोटी अलमारी है

  - Uday Divakar

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