हाल जहाँ में ख़ातूनों का कितना बदला बदला है

  - Uday Divakar

हाल जहाँ में ख़ातूनों का कितना बदला बदला है
इंसानों के टुकड़े करती और कहे वो अबला है

घर तोड़ा है मेरा मानो साठ बरस यूँ तोड़ दिये
मुझपे हँसने वाले बाबू नंबर तेरा अगला है

तेरे मंदिर मस्जिद ख़ातिर दो बच्चे लावारिस हैं
यानी तेरे और ख़ुदा के बीच का धागा पतला है

सबसे ज़्यादा नफ़रत तुझसे सबसे ज़्यादा प्यारा तू
मेरे दिल में बाद ख़ुदा के पहला था तू पहला है

तू कितना बेदर्द हुआ रे तुझको ये मालूम नहीं
पेड़ों पर आरी चलवाना गूँगी माँ पर हमला है

बाबूजी की डाँट न समझा माँ चुप थी सो मान गया
शोर शराबे पर ये चुप्पी ही नहले पर दहला है

  - Uday Divakar

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