मैं दिलकश हूँ मगर प्यारा नहीं हूँ।

  - Divy Kamaldhwaj

मैं दिलकश हूँ मगर प्यारा नहीं हूँ।
ज़रा सा हूँ मगर सारा नहीं हूँ ।

मुझे क्या देखते हो इस तरह से,
मैं दीवाना हूँ आवारा नहीं हूँ।

दिलासा अपना अपने पास रक्खो,
नहीं...हालात का मारा नहीं हूँ।

नज़र से माँ की मत देखो मुझे मैं,
तुम्हारी आँख का तारा नहीं हूँ ।

भरोसा मुझ पे रक्खो और थोड़ा,
रुका हूँ मैं मगर हारा नहीं हूँ ।

मैं पहले प्यार सा लगता हूँ लेकिन,
नहीं यारा... नहीं यारा... नहीं हूँ !

-दिव्य कमलध्वज

  - Divy Kamaldhwaj

More by Divy Kamaldhwaj

As you were reading Shayari by Divy Kamaldhwaj

Similar Writers

our suggestion based on Divy Kamaldhwaj

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari