बेमलतब की बातों पर इतना गुस्सा ठीक नही - Om Shukla

बेमलतब की बातों पर इतना गुस्सा ठीक नही
उदासी तो चल जाती है,लेकिन रोना ठीक नही

खुशियाँ सारी खा जाएगी,दे जाएगी ढेरो गम
सोच के करना जब भी करना,प्यार वगैरा ठीक नही

आये वो और फूल पर बैठे , तुम उधेड़ दो पीठ
यार मेरे उस तितली को ऐसे बहकाना ठीक नही

उसने मेरी नाव डुबोई, उस से ही सीखी तैराकी
मैं आखिर ये कैसे कह दूँ कि वो दरिया ठीक नही

साथ तेरे रहते हैं लोग लेकिन करते नही मुहब्बत
यानी लड़का ठीक तो है, लेकिन ज्यादा ठीक नही

कब तक गैरों का गम, ढोवोगे काँधे पर 'ओम'
तुमको ही खा जाएगी ये, ऐसा करना ठीक नही

- Om Shukla
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