उधर देखो वो तन्हा आ रहा है

  - Hassam Tajub

उधर देखो वो तन्हा आ रहा है
इधर तुमको पसीना आ रहा है

मिरे शेरों रखो तलवार नीचे
वो देखो वो निहत्था आ रहा है

वो जिसने छीन कर मारा था कासा
वही लेकर के कासा आ रहा है

मुझी से की है उस लड़की ने शादी
मुझे कैसा ये सपना आ रहा है

जो इक ग़लती हुई है बस उसी पे
हमें हर रोज़ रोना आ रहा है

तो अब चलता हूँ मैं बहर-ए-फ़ना में
मिरी जानिब फ़रिश्ता आ रहा है

  - Hassam Tajub

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