मैं जब भी उस हसीना से मिलूँगा
ये ख़ालिस दिल उसे तोहफ़े में दूँगा
अगर उसने इजाज़त दी मुझे तो
मैं उसकी उम्र भर पूजा करूँगा
मुझे बस इक दफ़ा अपना कहे वो
मैं जीवन भर उसे अपना कहूँगा
रक़ीबों को मिरे मिल जाएगी वो
मैं यूँ ही शाइरी करता रहूँगा
जनाज़े पर मिरे होंगे बराती
सुनो यारो मैं भी दूल्हा बनूँगा
तुम्हारे प्यार में शाइर बना हूँ
तुम्हारी याद में ग़ज़लें लिखूँगा
तुम्हारे नाम पर कहकर के ग़ज़लें
मैं घर में बैठकर पैसे गिनूँगा
जहाँ में बोलबाला झूठ का है
मैं सच्चा हूँ यहाँ कैसे रहूँगा
बदल जाए भले पूरा ज़माना
मैं सागर था मैं सागर ही रहूँगा
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