"कोशिशें "
आग लगी और धुआँ उठने लगा
हवाँ में मिल कर धुँआ आसमानों में चला गया
आग के अधूरे जलने से धुआँ हुआ था
और पूरा जलने से राख
राख बेचारी ज़मीं पर पड़ी रही
सफर के बीच ही धुँए ने राख को छोड़ दिया
और फिर वो कभी नही मिले
राख कभी धुँए से नही मिल सकती
ये बात वो दोनों जानते थे
पर फिर भी हवाँ के चलते
राख भी उड़ने की कोशिश करती
पर ज़्यादा देर नही उड़ पाती
ऐसे एक चिड़ीया ने शज़र पर रहवास बनाया
शज़र की हर कोशिश रही कि चिड़ीया ना जाए
पर एक रोज़ हवाँ के ज़ोर ज़ोर चलने से
शज़र की कुछ शाख़ें टूट गई
उन्ही शाख़ों में से किसी पर था चिड़ीया का घर
वो भी टूट गया, शज़र इस बात से रूठ गया
चिड़िया हमेशा एक ही शज़र पर नही रहेगी
इस बात को शज़र जानता था
पर फिर भी अपनी शाखाओं को फैलाता रहता
दूसरी चिड़ियाओं का इंतजार करता
और फिर कभी ज़ोरों से हवाएं चलती
ज़िंदगी की सच्चाई से वाकिफ लोग भी
अपने हिस्से की कोशिश करना नही छोड़ते
मानो सुकून उनका कामयाबी में तो है ही
पर मज़ा उनको कोशिशों में भी आता है
कोशिश करते रहिए जनाब कोशिश करते रहिए
फिर आग लगे और शायद धुँआ न उठे
पूरा धुँआ उसी राख में सिमट जाए
फिर कोई चिड़िया शज़र को रहने आये
और वही पर अपनी पूरी ज़िंदगी बिताए
कोशिश करते रहिए जनाब कोशिश करते रहिए
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