कभी भी हो नहीं सकता ये प्यार आहिस्ता आहिस्ता
मगर हाँ दिल में भरता है गुबार आहिस्ता आहिस्ता
अभी खाते हो कसमें साथ जीने साथ मरने की
रुको उतरेगा सर से ये ख़ुमार आहिस्ता आहिस्ता
हुए पहले पहल तो मनमुटाव आहिस्ता आहिस्ता
सजनवा फिर हुए बैरी हमार आहिस्ता आहिस्ता
गली की एक खिड़की जब खुले तब जाम लगता है
निकलते फिर सभी पैदल, सवार आहिस्ता आहिस्ता
लगेगा वक़्त थोड़ा और लेकिन काम ज़ारी है
सभी आएँगे मुझ में पर सुधार आहिस्ता आहिस्ता
बदन खुलने में आख़िर देर अब कितनी ही लगती है
खुला करते मगर दिल के द्वार आहिस्ता आहिस्ता
चली है बनके दुल्हन जान मेरी आज डोली में
ज़रा डोली उठाना ओ कहार आहिस्ता आहिस्ता
अभी रुतबा बराबर है अभी हम दोनो पत्थर हैं
बनाएगें उसे परवर दिगार आहिस्ता आहिस्ता
मुझे ऐ ज़िंदगी किश्तों में बांटी थी ख़ुशी तूने
उतारूँगा तेरा मैं भी उधार आहिस्ता आहिस्ता
सुना था ढ़ाई अक्षर प्रेम के पढ़ ले वो पंडित है
चलो पंडित बने हम सब गँवार आहिस्ता आहिस्ता
अभी बस बहर में लफ़्ज़ों को बैठा कर मैं देखूँ हूँ
मेरी ग़ज़लो में आएगा निखार आहिस्ता आहिस्ता
कहीं जाते नहीं पर उम्र भर रहते सफ़र में जो
उन्हीं में हो गए हम भी शुमार आहिस्ता आहिस्ता
बनाया दिल को मैंने जेल करके क़ैद सब रक्खी
मगर होती गईं ख़ुशियाँ फ़रार आहिस्ता आहिस्ता
न जाने प्रेम कितने पनपे कितने मर गए दिल में
मेरा ये दिल बना दिल से मज़ार आहिस्ता आहिस्ता
अचानक यूँ तेरा इंकार मेरी जान ले लेगा
मुहब्बत को मेरी जानम नकार आहिस्ता आहिस्ता
लगे है धीरे धीरे जी मुहब्बत में बड़े शा'इर
भले कामों में मिलती है पगार आहिस्ता आहिस्ता
कुनाल अब तो तुम अपनी हरकतों से बाज़ आजाओ
अमाँ आएंगे जल्दी क्या है यार आहिस्ता आहिस्ता
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