कब कहा मैंने अदब की तर्बियत अच्छी नहीं है - Lalit Pandey

कब कहा मैंने अदब की तर्बियत अच्छी नहीं है
हाँ मगर हम शायरों की कैफ़ियत अच्छी नहीं है

चाहता है जो मुझे मैं भी उसे अपना बनाता
पर मुहब्बत में मेरी मसरूफ़ियत अच्छी नहीं है

वो दिलों को तोड़ता फिर जोड़ता फिर तोड़ देता
उसको समझाओ कि ये मासूमियत अच्छी नहीं है

गाँव अपना छोड़कर रहने लगे परदेस लेकिन
भूल जाऐं राह तो फिर शहरियत अच्छी नहीं है

यार शहर-ए-दिल मेरा वीरान करके जो गया था
है सुना उस शख़्स की भी ख़ैरियत अच्छी नहीं है

- Lalit Pandey
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