कभी चेहरा बदलता है कभी लहजा बदलता है

  - Meena Bhatt

कभी चेहरा बदलता है कभी लहजा बदलता है
तरक़्क़ी के लिए बैठा बशर कांधा बदलता है

हज़ारों मुश्किलें आतीं घरौंदे टूट भी जाएँ
वतन पर जान देने का कहाँ ज़ज़्बा बदलता है

नहीं बाज़ार में बिकती न मिलती है विरासत में
तू क्यों तहज़ीब पाने को भला शजरा बदलता है

मुसलसल ज़ुल्म होते हैं ग़रीबों पर यहाँ तो बस
भले सरकार बदले भाग्य कब उनका बदलता है

दर-ओ-दीवार भी इक दिन यक़ीनन बँट ही जाएँगे
बदल जाए हर इक शय रिश्तों का क़िस्सा बदलता है

रहेगा साथ भी मर के जुदा तुझसे न होगा वो
फ़क़त मर के यहाँ इंसान ये चोला बदलता है

नया है दौर और देखो नया माहौल है सारा
बदल ख़ुद को भी तू चलता हुआ सिक्का बदलता है

बुलंदी पर रहो करती दुआ है बस यही 'मीना'
कभी मग़रूर मत होना समय सबका बदलता है

  - Meena Bhatt

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