0

अज़-मेहर ता-ब-ज़र्रा दिल-ओ-दिल है आइना  - Mirza Ghalib

अज़-मेहर ता-ब-ज़र्रा दिल-ओ-दिल है आइना
तूती को शश-जिहत से मुक़ाबिल है आइना

हैरत हुजूम-ए-लज़्ज़त-ए-ग़लतानी-ए-तपिश
सीमाब-ए-बालिश ओ कमर-ए-दिल है आइना

ग़फ़लत ब-बाल-ए-जौहर-ए-शमशीर पर-फ़िशाँ
याँ पुश्त-ए-चश्म-ए-शोख़ी-ए-क़ातिल है आइना

हैरत-निगाह-ए-बर्क़-ए-तमाशा बहार-ए-शोख़
दर-पर्दा-ए-हवा पर-ए-बिस्मिल है आइना

याँ रह गए हैं नाख़ुन-ए-तदबीर टूट कर
जौहर-तिलिस्म-ए-उक़्दा-ए-मुश्किल है आइना

हम-ज़ानू-ए-तअम्मुल ओ हम-जल्वा-गाह-ए-गुल
आईना-बंद ख़ल्वत-ओ-महफ़िल है आइना

दिल कार-गाह-ए-फ़िक्र ओ 'असद' बे-नवा-ए-दिल
याँ संग-ए-आस्ताना-ए-'बेदिल' है आइना

- Mirza Ghalib

Miscellaneous Shayari

Our suggestion based on your choice

More by Mirza Ghalib

As you were reading Shayari by Mirza Ghalib

Similar Writers

our suggestion based on Mirza Ghalib

Similar Moods

As you were reading Miscellaneous Shayari