सामने सरकार के कुछ बात रखकर देखिए - nakul kumar

सामने सरकार के कुछ बात रखकर देखिए
बन न पाए बात तो सौग़ात रखकर देखिए

किस क़दर सहमे हुए हैं टूटने के डर से ये
आप इन कच्चे घड़ों पर हाथ रखकर देखिए

देखिए कैसे कोई ढोता है अपनी ज़िंदगी
आप मेरे हाल में हालात रखकर देखिए

आपकी क्या अहमियत है देखना चाहें तो फिर
पत्थरों के सामने जज़्बात रखकर देखिए

आप अपने आप को मुझमें डुबोते जाऍंगे
मुझको अपनी क़ैद में इक रात रखकर देखिए

ज़्यादती हर बात की हर चीज़ की अच्छी नहीं
डूबते शहरों में कुछ बरसात रखकर देखिए

देखिए मज़दूर के हाथों में दुनिया का सिरा
इक घड़ी हाथों में उसके हाथ रखकर देखिए

टूटते हैं लोग भी रंगीन मौसम में यहाँ
देखिए बेवा के दर बारात रखकर देखिए

ये कभी मिलने चले आऍंगे सदियों बाद भी
वक़्त के पन्नों में कुछ लम्हात रखकर देखिए

- nakul kumar
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