शायद ख़ुदा तू है नहीं वरना तो देखता
करता नही अलग तू मोहब्बत जो देखता
मैं टकटकी सी बाँध के बस उसको देखता
वो पहले सब को देखता फिर मुझको देखता
सब फूल थे गुलाब के सब कुछ हसीन था
अब तुम बताओ यार मैं किस किसको देखता
मुझको अगर वो देखता तो क्या वो देखता?
ये भी अगर मैं देखता तो क्या वो देखता
मेरा इलाज हो न सका इसलिए मियाँ
मर जाता दर्द से जो मेरे घाव देखता
पत्थर सा मेरा दिल भी पिघल पड़ता जब कहीं
रोता हुआ अगर मैं किसी माँ को देखता
बेरोज़गार होने की इक वजह है ये भी
सब काम धंधा छोड़ के मैं तुझको देखता
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