इश्क़ जब बेइंतिहा होने लगा

  - Harpreet Kaur

इश्क़ जब बेइंतिहा होने लगा
चाहतों का वो ख़ुदा होने लगा

हद से बढ़ के बेख़बर को चाहा जो
देखिए वो बेवफ़ा होने लगा

किस से करते अब शिकायत टूटा दिल
बेसबब वो जब ख़फ़ा होने लगा

बन गई दुश्मन मेरी मासूमियत
दरमियाँ अब फ़ासला होने लगा

प्रीत रहती बेख़ुदी में ख़ोई सी
और ये दिल ग़म-ज़दा होने लगा

  - Harpreet Kaur

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