आओ तुम्हें दिखाएँ हम हौसले जिगर के
उसकी गली से निकले उसको इशारा कर के
देखी है सबने मेरे चेहरे की मुस्कुराहट
देखा नहीं किसी ने दिल में मेरे उतर के
कितने दिलों की धड़कन उलझी हुई हैं इनमें
रक्खा करो तुम अपनी ज़ुल्फ़ों को बाँध कर के
कुछ इस तरह से उसको दिल में बिठा लिया है
बैठी हो जैसे दुल्हन कमरे में सज सँवर के
तौहीन तो न कीजे यूँ मेरी मय-कशी की
मुझको शराब दीजे पूरा गिलास भर के
जी जाऊँगा मैं उसकी नज़रों की इक छुअन से
मर जाऊँगा मैं उसकी आँखों में डूब कर के
मुझको सुनाओ अपने दिल की 'रचित' कहानी
मुझको सुनाओ मत तुम क़िस्से इधर उधर के
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