गुलों में रंग आते हैं तेरी ख़ुश रंग बाँहों से
मुहब्बत जूझ जाती है तेरी नाज़ुक अदाओं से
नज़र के सामने आख़िर जिगर की बात ही क्या है
कई दिल मात खाते हैं तेरी तिरछी निगाहों से
कभी हमको तुम्हारी बात भी अच्छी नहीं लगती
कभी उठते नहीं बनता तेरी ज़ुल्फ़ों के सायों से
हमें डर है तुम्हारे बाद कोई तुमसा नइँ आए
वगरना दिल जुदा हो जाएगा दम की पनाहों से
हमारा दिल है इक शीशा हवा में मत उछाला कर
कभी दिल टूट नइँ जाए तेरी ऐसी ख़ताओं से
बहुत उलझा बहुत टूटा हवा के ज़ोर से लेकिन
चराग़ों में अभी है रौशनी तेरी दुआओं से
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