यहाँ तो वक़्त पे रिश्ता निभाता तो नहीं है अब

  - Raunak Karn

यहाँ तो वक़्त पे रिश्ता निभाता तो नहीं है अब
ज़िया की बात हो फिर भी बताता तो नहीं है अब

कहानी वो सुनाता भूल कर सारे नज़ारा को
दिलों की बात भी मुझको सुनाता तो नहीं है अब

नही थी बूझ तो सारी कि सारी चाह कह देते
हुई जब बूझ तब से दिल जताता तो नहीं है अब

अरे सबको पड़ी है बस यहाँ तो जान की आख़िर
यहाँ पे फूल पेड़ों को लगाता तो नहीं है अब

नहीं है दौड़ ' रौनक ' जब सभी बातें बताता था
दिखाई जो परे वो भी दिखाता तो नहीं है अब

  - Raunak Karn

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