अपना दामन मैं छुड़ाऊँ तो ग़ज़ल कह देना
और गर तुझ को भुलाऊँ तो ग़ज़ल कह देना
दिल में रख हौसला आँखों में वफ़ा और इस पर
साथ तेरा न निभाऊँ तो ग़ज़ल कह देना
तूने पाज़ेब सजाई जो मिरे पैरों में
उस की आवाज़ सुनाऊँ तो ग़ज़ल कह देना
ज़िंदगी याद ख़यालों में अभी बाक़ी तू
जब तुझे दिल से मिटाऊँ तो ग़ज़ल कह देना
तू अगर रूठ भी जाए ये ज़माने भर से
देख मैं तुझको मनाऊँ तो ग़ज़ल कह देना
ये ज़माने ने मुझे यार सताया कितना
दर्द सारे ये सुनाऊँ तो ग़ज़ल कह देना
अब भला कौन मेरे ज़ख़्म पे मरहम रखता
मैं अगर ज़ख़्म छुपाऊँ तो ग़ज़ल कह देना
फूल शबनम ये कली चाॅंद सितारों के संग
नींद तेरी भी उड़ाऊँ तो ग़ज़ल कह देना
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