फिर से किया है ज़िक्र उन्होंने मलाल का

  - Rohan Kaushik

फिर से किया है ज़िक्र उन्होंने मलाल का
यानी ख़याल आ गया मुझ बे-ख़याल का

क्या एक ही तरफ़ से गुज़रती है रहगुज़र
क्या एक ही जवाब है मेरे सवाल का

नफ़रत दवा से थी मगर अब चारागर से है
इतना असर हुआ है तेरी देखभाल का

डाला है ज़िंदगी ने हमें ऐसी गर्त में
पत्थर से पूछते हैं मआनी उछाल का

मैं होश में रहा ही नहीं हूँ कभी जबर
सो क्या बुलंदियों का सफ़र क्या ज़वाल का

  - Rohan Kaushik

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