ठुकरा रहे हैं वो जिन्हें ठुकराना चाहिए

  - Rohan Kaushik

ठुकरा रहे हैं वो जिन्हें ठुकराना चाहिए
मेरा बस इक सवाल है दीवाना चाहिए

जब दरमियान कोई तकल्लुफ़ नहीं बचा
इस राब्ते से अब तो जी भर जाना चाहिए

धोखा मिले तुझ ऐसे वफ़ादार से अगर
क्यूँकर न अपने आप पे इतराना चाहिए

जो भी मिला वफ़ा का सिला मिल गया हमें
अब हमको अपने प्यार का नज़राना चाहिए

किससे कहूँ मैं तल्ख़ हक़ीक़त सुनेगा कौन
मुझको ही ख़ुशनुमा सा जब अफ़्साना चाहिए

ये काम-धाम होते रहेंगे तमाम उम्र
गर छुट्टियाँ मिली हैं तो घर जाना चाहिए

  - Rohan Kaushik

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