मेरे हिस्से ही तो ग़म हो रहा है

  - Sandeep Gandhi Nehal

मेरे हिस्से ही तो ग़म हो रहा है
यूं बे - ईमान मौसम हो रहा है

यहां हम मौत के दर पर खड़े हैं
वहां डोली का आलम हो रहा है

उधर रस्में निभाई जा रही हैं
इधर मेरा ही मातम हो रहा है

मेरी सुन रूह तू आज़ाद हो जा
किसी दूजे का जानम हो रहा है

हमारी आज, बिछड़न की घड़ी है
तुम्हारा आज संगम हो रहा है

  - Sandeep Gandhi Nehal

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