मैं सादगी के नूर से महकी ग़ज़ल बनी

  - Saba Rao

मैं सादगी के नूर से महकी ग़ज़ल बनी
तुम चाँदनी के चाँद से लगते तज़ीब हो

खोई हुई तुम्हारी मोहब्बत जो मिल रही
सच में जनाब तुम तो बहुत ख़ुशनसीब हो

  - Saba Rao

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