कि बहलाना हँसाना तुमको नईं आता - karan singh rajput

कि बहलाना हँसाना तुमको नईं आता
मैं रोऊँ तो मनाना तुमको नईं आता

मेरी बारी में ही सब याद आता है?
यूँ तो कोई बहाना तुमको नईं आता

मुझे तुम छीन लो मुझसे मेरी जाँ , क्या
भला यूँ हक़ जताना तुमको नईं आता

कि बातें तो बहुत अच्छी बनाती हो
मगर खाना बनाना तुमको नईं आता

ये क्या के हाल अच्छा नईं मेरा इस बार
नया कोई बहाना तुमको नईं आता?

मोहब्बत तो 'करन' दिल से ही करते हो
सुना है पर बताना तुमको नईं आता

- karan singh rajput
3 Likes

More by karan singh rajput

As you were reading Shayari by karan singh rajput

Similar Writers

our suggestion based on karan singh rajput

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari