आपने समझा दिया है दिल्लगी का फ़ायदा
मैं वगरना सोचता था ख़ुदकुशी का फ़ायदा
जिसकी ग़लती पर मैं चुप था वो गले से आ लगा
इससे अच्छा और क्या हो ख़ामुशी का फ़ायदा
घर किसी का जल रहा है मैं भला ख़ुश कैसे हूँ
हो नहीं सकता मुझे इस रौशनी का फ़ायदा
दूर है जब से ज़माना पास ख़ुद के आ गया
इस तरह उट्ठा लिया हूँ बेरुख़ी का फ़ायदा
कासा-ए-दिल सामने फैला दिया उनके मगर
इश्क़ में फिर भी न पाया मुफ़लिसी का फ़ायदा
राएगाँ है ज़िन्दगी जिस ज़िन्दगी में तुम नहीं
फिर भला कैसे उठाए ज़िन्दगी का फ़ायदा
धूप में दिन भर जले हम हो शफ़क़ के मुन्तज़िर
चल दिए सब हमने देखा आख़िरी का फ़ायदा
मार डाले सारे मोहरे यार ने इक चाल में
यार ही क्या वो जो ले ले बेबसी का फ़ायदा
बोलने से भी डरें जिस घर में घर की औरतें
सोचो मर्दो क्या है इस मर्दानगी का फ़ायदा
चाहता तो चूम लेता छू भी लेता हर जगह
दोस्ती में क्या ही लूँ पर बेसुधी का फ़ायदा
ढूँढता है क्यों 'शिवा' तू अब सुकून-ए-क़ल्ब को
धन कमा तू भी उठा ले नौकरी का फ़ायदा
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