ज़्यादा ही रौशनी की तमन्ना नहीं करो
ख़ुद की ही ज़िंदगी में अँधेरा नहीं करो
अंदाज़ इस हयात का तुमको नहीं पता
ताउम्र साथ होंगे ये दावा नहीं करो
कब तक के जिस्म में रहे ये भार साँस का
तुम मौत के ख़िलाफ़ तो सौदा नहीं करो
अच्छा नहीं है आज बुरा कल नहीं रहे
सो बेफ़िज़ूल वक़्त से शिक़वा नहीं करो
होगा प्रलय तो सूर्य का आना भी तय नहीं
लौटोगे तुम किसी से ये वादा नहीं करो
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