जलूंगा तो सही पर ख़ूब नज़्ज़ारा बनाऊंगा
मुझे देखो मैं अपनी राख से क्या क्या बनाऊंगा
मिरा मोहसिन किसी दिन जब मिरे पहलू में आयेगा
समेटूंगा अंधेरी रात को जूड़ा बनाऊंगा
किसी नुक़्ते मिलाने से बनी तस्वीर की तरहा
सितारे जोड़ अम्बर में तेरा ख़ाका बनाऊंगा
नई दुनिया बनाऊंगा मगर मैं अपनी दुनिया का
ख़ुदा भी इश्क़ में खोया हुआ लड़का बनाऊंगा
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