मुझे लगता था दुनिया में तेरे जैसा नहीं मिलता
मगर फिर याद आया ढूँढने से क्या नहीं मिलता
बिना अंजाम जाने इश्क़ का आग़ाज़ कर ले तू
कभी पहले परीक्षा से कोई पर्चा नहीं मिलता
मोहब्बत की ग़ज़ल मेरी वो टपरी है जहाँ पर बस
महकती चाय मिलती है कोई गुटका नहीं मिलता
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