और क्या हमसे ज़माना चाहता है - Salma Malik

और क्या हमसे ज़माना चाहता है
तोड़कर दिल को हँसाना चाहता है

जा बसा घर छोड़कर परदेस में जो
ऐसा भी वो क्या कमाना चाहता है

जो बना फिरता था शैदाई मिरा इक
क्यों वही दिल को दुखाना चाहता है

ये रदीफ़-ओ-क़ाफ़िए का खेल है बस
हर ग़ज़लगो ये बताना चाहता है

दर्द होता है जिसे अब याद करके
दिल मिरा वो सब भुलाना चाहता है

ज़िन्दगी सलमा बड़ी है ख़ूब लेकिन
हाथ वो इससे छुड़ाना चाहता है

- Salma Malik
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